मदर की प्रार्थना : जो व्यक्ति दूसरे के दर्द को अपने दिल में महसूस करता है, वही सच्चा मानव कहलाता है। मदर टेरेसा को यदि मानवता की देवी’ कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यद्यपि वे गांधी जी से कभी नहीं मिलीं, पर वे गांधी जी की बड़ी प्रशंसक थीं। उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने कुष्ठ रोगियों के आवास स्थल का नामकरण ‘गांधीजी प्रेम निवास’ किया था। वे स्वयं कुष्ठ रोगियों के साथ बैठकर प्रार्थना करती थीं…
“हे परमपिता परमेश्वर ! मुझे इस योग्य बनाओ कि मैं दीन-दुखियों की सेवा कर सकू, भूखे को भोजन खिला सकें, रोगी को दवा दे सकें। आज जो भूखे हैं, उन्हें मेरे हाथों से भोजन प्राप्त हो। मैं उन्हें इतना प्यार करूं कि उन्हें शांति मिले। हे भगवन ! मुझे नफरत करने वालों के बीच शांति का दूत बनाकर भेजो ताकि मैं उनके हृदय से नफरत को मिटाकर प्यार ला सकें। जहां अन्याय हो, वहां न्याय लाऊं। जहां कलह हो, वहां सद्भावना लाऊं। जो लोग अपनी राह भूल गए हैं, उन्हें मैं सही राह पर लाऊं। जिन लोगों के मन में विश्वास नहीं है, उनके मन में विश्वास लाऊं। निराश लोगों में आशा का संचार करूं। अंधेरे को
प्रकाश में बदल सकें। मुझे शक्ति दो भगवान! अपने प्रकाश से मेरा जीवन भर दो ताकि मैं बेसहारा लोगों के जीवन में खुशियों का उजाला भर सकें।’