मूर्खो को सलाह देने का परिणाम | Murkho ko Salah Dene Ka Parinam

मूर्खो को सलाह देने का परिणाम | Murkho ko Salah Dene Ka Parinam

मूर्खो को सलाह देने का परिणाम | Murkho ko Salah Dene Ka Parinam : किसी वन में एक ऊंचे और घने पेड़ पर बया पक्षी अपनी पत्नी के साथ घोंसला बनाकर रहता था। एक बार शरद ऋतु में मूसलाधार वर्षा शुरू हो गई, ऊपर से ठंडी हवा भी चलने लगी, लेकिन अपने घोंसले में सुरक्षित रूप से बैठे बया – दंपती पर न तो वर्षा का और न ही ठंडी हवा का कोई असर हुआ। दोनों घोंसले में बैठे आनंद से गाते-गुनगुनाते रहे। वर्षा कई दिनों तक होती रही, इससे वातावरण अत्यधिक ठंडा हो गया। एक दिन वर्षा से बचने के लिए एक बंदर न जाने कहां से आकर उस पेड़ के नीचे बैठ गया। बंदर बुरी तरह से भीगा हुआ था। ठंड के कारण उसके दांत बज रहे थे। वह बुरी तरह से कांप रहा था। ठंड से बचने के लिए उसने अपने दोनों हाथ अपनी कांखों में दबा रखे थे।

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मूर्खो को सलाह देने का परिणाम | Murkho ko Salah Dene Ka Parinam : बंदर की ऐसी हालत देखकर अपने घोंसले में बैठी मादा बया ने कहा – ‘बंदर महाशय! ऐसी भयानक ठंड में कहां मारे-मारे फिर रहे हो? यह वर्षा जल्दी रुकने वाली नहीं है। जल्दी से अपने घर जाओ और वहां जाकर विश्राम करो।’ ‘मेरा कोई घर नहीं है।’ बंदर बोला-‘मैं तो पेड़ों पर ही रहता हूं।’
‘कितने अफसोस की बात है कि तुमने अभी तक रहने के लिए अपना घर भी नहीं बनाया’, मादा बया ने आश्चर्य करते हुए कहा – ‘अरे भाई! तुम्हारे तो मनुष्यों की तरह हाथ और पांव भी हैं, फिर तुम क्यों नहीं अपना घर बना लेते? हमें देखो, हमारे तो हाथ भी नहीं हैं फिर भी अपनी चोंच और पंजों से तिनके चुन – चुनकर हमने कितना सुंदर घोंसला बना लिया है।’

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मूर्खो को सलाह देने का परिणाम | Murkho ko Salah Dene Ka Parinam

मूर्खो को सलाह देने का परिणाम | Murkho ko Salah Dene Ka Parinam : बंदर मादा बया की सीख सुनकर चिढ़ गया और बोला-‘अरी मूर्ख चिड़िया! अपनी जबान बंद रख। मेरी तो वैसे ही ठंड से हालत खराब हो रही है और तू है कि मुझे उपदेश दिए जा रही है।’ लेकिन मादा बया न मानी, वह बंदर को बराबर नसीहतें देती रही। अब तो बंदर का धैर्य जवाब दे गया। वह उछल कर पेड़ पर चढ़ गया और तीन – चार छलांगें लगाकर बया के घोंसले के समीप पहुंच गया।
‘चूं-चूं की बच्ची! बहुत देर से बड़-बड़ किए जा रही है।’ बंदर गरजा – ‘अंगुल भर की तो तू चिड़िया है, पर तेरी जबान गज भर की है। मेरी बेइजती करती है, बेवकूफ! ठहर, अभी तुझे इसका मज़ा चखाता हूं।’ यह कहकर बंदर ने एक ही झटके में उसका घोंसला तोड़कर फेंक दिया। बेचारे बया – दंपती रोते ही रह गए। बंदर उन्हें रोते – कलपते देखकर मन ही मन बड़ा प्रसन्न हुआ, फिर वह पेड़ों पर छलांगें लगाता हुआ दूसरी जगह पर चला गया।

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मूर्खो को सलाह देने का परिणाम | Murkho ko Salah Dene Ka Parinam : किसी विद्वान व्यक्ति ने ठीक ही कहा है कि किसी मूर्ख व्यक्ति को कभी सीख मत दो। मूर्ख व्यक्ति को सीख देने का परिणाम अंतत: बुरा ही निकलता है।

सीख उसी को दीजिए, जाको सीख सुहाय।
सीख न दीजे बांदरा, न घर बया का जाय।

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