Chotu Ka Sapna | छोटू का सपना | Very Emotional Child Labour Story in Hindi

Chotu Ka Sapna | छोटू का सपना | Very Emotional Child Labour Story in Hindi

Chotu Ka Sapna | छोटू का सपना | Very Emotional Child Labour Story in Hindi : वीजा रिजेक्ट हो जाने के बाद, धीरज बहुत चिंता में था की उसके विदेश में पढने के सपने का क्या होगा। उसको अपने आप को शांत कराने की बहुत ज्यादा जरुरत थी और ये काम एक चाय के प्याले ने उसके लिए किया था. तो चाय के लिए वो पास के ही एक टी स्टाल पर गया और एक कप चाय आर्डर की.

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Chotu Ka Sapna | छोटू का सपना | Very Emotional Child Labour Story in Hindi

धीरज एक टेबल पर बैठा था की इतने में उसके कान में एक आवाज़ सुनाई पड़ी और उसने ध्यान लगाकर उस आवाज़ को सुनना शुरू किया।

“हाँ, मैंने कल रात एक सपना देखा था और क्या रापचिक (बहुत बढ़िया) था यार ..” एक लड़का अपने दोस्त से कह रहा था।

“..मैं उस बड़े से अंग्रेजी स्कूल में पढने गया था और मैं इतनी जल्दी जल्दी इंग्लिश बोल रहा था की पूछ मत। भागने वाले कम्पटीशन में मुझे फर्स्ट प्राइज मिला। मैंने स्कूल कैंटीन से बहुत टेस्टी खाना खाया और उसके बाद ..”

Chotu Ka Sapna | छोटू का सपना | Very Emotional Child Labour Story in Hindi

इस बीच, उसने एक जोर की आवाज सुनी।

“छोटू, कहाँ ,मर गया तू? जा टेबल नंबर चार पर एक चाय देकर आ।” चाय स्टाल मालिक गुस्से में चिल्लाया।

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Chotu Ka Sapna | छोटू का सपना | Very Emotional Child Labour Story in Hindi

“आपकी चाय, सर !!” एक मुस्कुराते हुए चेहरे ने टेबल 4 पर धीरज से कहा और वहां से चुपचाप चला गया।

धीरज ने सोचा, कैसे एक बच्चे के लिए बुनियादी जरूरतें भी एक सपना हो सकती है? दूसरी तरफ, वो खुद ही खुद में मुस्कुराया की वीजा रिजेक्ट हो जाने पर वो कितना निराश होने वाला मुर्ख इंसान हैं। चाय के हर घूट के साथ, धीरज उस प्यारे से छोटू को देख रहा था और अपने बचपन की तुलना उस बच्चे के बचपन से कर रहा था।

बाद में, धीरज ने टिप के रूप में ना तो उस बच्चे को पैसे दिए और ना ही उसे खाना दिया, और ना तो उसने पुलिस को फोन किया और शिकायत की की यहाँ पर बाल श्रम चल रहा हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में उसने छोटू का एडमिशन एक स्कूल में करा दिया और और सारा खर्चा खुद उठाने का वादा किया. अपना सपना छोड़ कर वो हर उस दुसरे बच्चे के सपनो को साकार करने की उसने मन में ठानी जिन्हें छोटी छोटी चीजों के लिए झुझना पड़ता हैं.

तो, क्या आपने आज कोई छोटू देखा? आप आपने कभी किसी छोटू की ऐसे मदद की हैं?

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